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1. पंचोपचार  –   गन्ध, पुष्प, धूप, दीप तथा नैवैध्य द्वारा पूजन करने को ‘पंचोपचार’ कहते हैं |

2. पंचामृत  –   दूध, दही, घृत, मधु { शहद ] तथा शक्कर इनके मिश्रण को ‘पंचामृत’ कहते हैं |

3. पंचगव्य  –   गाय के दूध, घृत, मूत्र तथा गोबर इन्हें सम्मिलित रूप में ‘पंचगव्य’ कहते हैं |

4. षोडशोपचार  –   आवाहन्, आसन, पाध्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, अलंकार, सुगंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवैध्य, अक्षत, ताम्बुल तथा दक्षिणा इन सबके द्वारा पूजन करने की विधि को ‘षोडशोपचार’ कहते हैं |

5. दशोपचार  –   पाध्य, अर्घ्य, आचमनीय, मधुपक्र, आचमन, गंध, पुष्, धूप, दीप तथा नैवैध्य द्वारा पूजन करने की विधि को ‘दशोपचार’ कहते हैं |

6. त्रिधातु  –   सोना, चांदी और लोहा | कुछ आचार्य सोना, चांदी, तांबा इनके मिश्रण को भी ‘त्रिधातु’ कहते हैं |

7. पंचधातु  –   सोना, चांदी, लोहा, तांबा और जस्ता |

8. अष्टधातु  –   अष्टधातु – सोना, चांदी, लोहा, तांबा, जस्ता, रांगा, कांसा और पारा |

9. नैवैध्य  –   नैवैध्य – खीर, मिष्ठान आदि मीठी वस्तुये |

10. नवग्रह  –   नवग्रह – सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु |

 

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